अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना : प्रो. ठाकुर प्रसाद वर्मा

प्रो. ठाकुर प्रसाद वर्मा

ठाकुर प्रसाद वर्मा जी का जन्म 20 जनवरी, 1931 को वर्तमान उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर गावं के गोनहाताल नामक पैतृक गाँव में हुआ। यह नाम उनको ननिहाल उनके नाना जी से जगन्नाथपुरी की तीर्थयात्रा करके लौटने के बाद प्रदास स्वरुप प्राप्त हुआ था। उनके पिता स्व. जगन्नाथ लाल बांसी तहसील न्यायालय एवं मुंसिफ में सिविल के अधिवक्ता थे। उनकी माता स्व. चम्पादेवी परम साध्वी तथा ममतामयी थी। ठाकुर प्रसाद जी की छोटी बहिन स्व. सोना देवी गोरखपुर में रहती थी। ठाकूर प्रसाद जी की पत्नी स्व. श्रीमती शिवकुमारी वर्मा (एम.ए., बी.एड.) ममता की प्रतिमूर्ति थी। जो स्वयं वाराणसी के एक विद्यालय की प्रधानाचार्य थी। ठाकुर प्रसाद जी की चार संतानों में तीन पुत्री और एक पुत्र था। ठाकुर प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई। माध्यमिक शिक्षा 1949 में रतनसेन हाईस्कूल में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। इंटरमिडीएट एवं बी.ए. की परीक्षा के लिए गोरखपुर के सेंत एन्द्रेयुज कालेज में प्रवेश लिया जो उस समय आगरा विश्वविद्यालय से संबंध था। एम.ए. 1958 में उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने 'पोलियोग्राफी ऑफ पोस्ट मोर्याँ ब्राह्मी स्क्रिप्ट' पर पी-एच-डी. 1967 में विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त की। साथ ही सिंहली, पाली, मुद्राशास्त्र, लिपिशास्त्र, आदि में भी महारथ हसिल की।

ठाकुर वर्मा जी 1966 में शिक्षक पद को प्राप्ति के पश्चात् एवं उन्होंने व् उनके गुरु श्री नारायण जी ने पिछले 40 वर्षो से श्रीराम के युग, रामकथा एवं श्रीरामजन्मभूमि के लिए ही अपने इतिहास, पुरातत्व एवं अभिलेखिकी का प्रयोग कर इतिहास को नवीन परिप्रेक्ष्य प्रदान किया साथ उपाचार्य (1984) बनकर सेवानिवृत (1993) हुए। 1944 में बाल स्वयंसेवक के रूप उन्होंने नगर बांसी में प्रवेश किया अनेक वरिष्ठ प्रचारकों के अन्यंत प्रिय रहे। शैक्षणिक एवं समजिज्क गुरुतर उत्तरदायित्वो के निर्वहन में ठाकुर वर्मा जी की प्रमाणिकता अनुकरणीय रही है। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली की अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिका 'इतिहास दर्पण' (2008 से 2016) के सम्पादक थे। ठाकुर प्रसाद वर्मा जी ने वैशाख 07 मई, 2020 महामारी के दौरान भगवानपुर वाराणसी स्थित अपने आवास पर ' शातायुर्वैपुरुष' की यात्रा के 88वें पड़ाव में चिरविश्रांति ले लिया।

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