अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना : परिचय

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वज्जनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है। देश एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान्, विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक] अध्यापक, अनुसन्धान-केन्दों के संचालक] भूगोल] खगोल, भौतिशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखनेवाले विद्वान इस कार्य से जुड़े हुए हैं।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम प्रचारक श्री उमाकान्त केशव (बाबा साहेब) आपटे (1903-1972) ने इतिहास में सम्यक् दृष्टि एवं सत्यापन के लिए बड़ा कार्य किया।

उनके देहान्त के बाद सन् 1973 में श्री मोरेश्वर नीळकण्ठ (मोरोपन्त) पिंगळे (1919-2003) की प्रेरणा से नागपुर में ‘बाबा साहेब आपटे स्मारक समिति’ की स्थापना हुई। प्रारम्भ में इस समिति ने दो कार्य अपने हाथ में लिए-

- प्रारम्भ में इस समिति ने दो कार्य अपने हाथ में लिए -

संसार की प्राचीनतम भाषा संस्कृत, जिसे संसार की समस्त भाषाओं की जननी भी कहा जाता है,का प्रचार-प्रसार

भारतीय-इतिहास का पुनर्लेखन एवं इसके निमित्त सामग्री का संकलन।

यह सर्वस्वीकृत एवं प्रामाणिक तथ्य है कि भारत का इतिहास देश, काल एवं घटना की दृष्टि से खण्डित, विसंगतिपूर्ण एवं विकृत सिद्धान्तों पर आधारित है। यूरोपीय प्रभुत्वकाल में पाश्चात्य मानसिकता से लिखित इतिहास तथ्य सत्य एवं लेखक तीनों ही कसौटियों पर अप्रामाणिक, अश्रद्धेय तथा पूर्वाग्रहों से युक्त है। इसलिए स्वाधीनता के पश्चात् सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तरों पर इतिहास-संशोधन के अनेक प्रयत्न हुए और हो रहे हैं। इसी कड़ी में भारत के प्रामाणिक एवं भारतीय कालक्रमानुसार सत्यपरक इतिहास पुनर्रचना के लिए संकल्पित समाज-चिन्तक श्री उमाकान्त केशव (बाबा साहेब आपटे ( 1903-1972) की स्मृति में कलियुगाब्द 5075 (1973 ई०) में नागपुर में भारतीय इतिहासलेखन, संकलन तथा प्रकाशन आदि की दृष्टि से 'बाबा साहेब आपटे स्मारक समिति' की स्थापना हुई। बाद में 1994 में 'अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना' नामक राष्ट्रीय संगठन दिल्ली में पंजीकृत हुई। इस प्रकार 'योजना' इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वज्जनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि क्षेत्र में प्रामाणिक तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है। देश एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान् विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक, अध्यापक, अनुसन्धान केन्द्रों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिकशास्त्रादि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखनेवाले विद्वान् इस कार्य से जुड़े हुए हैं।

उपर्युक्त विचारों की पृष्ठभूमि में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने भारतीय कालगणना के आधार पर महाभारतकाल से लेकर वर्तमान समय तक के इतिहास के पुनर्संकलन का कार्य लिया है। यह पुनसंकलन सत्य, निष्पक्ष तथ्यों पर आधारित, पूर्वाग्रहरहित, भारतीय कालगणना, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों और नवीनतम पुरातात्त्विक खोजों और समसामयिक वैज्ञानिक व्याख्यात्मक प्रतिमानों के आधार पर हो रहा है। इस प्रकार 'योजना' हमारे देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा जीवन के अन्य सभी पक्षों को दर्शाते हुए हमारे देश के वास्तविक सूत्रबद्धात्मक तथा व्यापक इतिहास का संकलन कर रही है।

इसके साथ ही योजना ने वर्षों से सतत अभियान चलाकर भारतीय इतिहास में व्याप्त अनेक भयंकर विसंगतियाँ और त्रुटियों की ओर विश्व का ध्यान आकृष्ट करने के साथ-साथ इतिहास के उन पृष्ठों को भी उद्घाटित करने का प्रयास किया है जो अबतक अज्ञात रहे थे या जिनके सामने आने में अनेक अवरोध उत्पन्न किए जा रहे थे। योजना से जुड़े विद्वान् इतिहासकारों द्वारा उद्घाटित तथ्य, सत्य की कसौटी पर कसे होने के कारण मील के पत्थर सिद्ध हुए हैं और योजना के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण इन्हें वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। विगत दो दशक में भारतीय और विश्व इतिहास से जुड़े अनेक भ्रामक तथ्यों से निराकरण में योजना को पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है और अनेक में योजना सफलता की ओर अग्रसर है। कुछ मौलिक अनुसंधान, जिसमें योजना ने सफलता प्राप्त की है और जो योजना के द्वारा वर्तमान में प्रकल्प के रूप में चल रहे हैं तथा जिनपर योजना ने पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं, इस प्रकार हैं-

  1. 'आर्य आक्रमण सिद्धान्त' का उन्मूलन
  2. वैदिक सरस्वती नदी शोध प्रकल्प
  3. भारतीय कालगणना वैज्ञानिक एवं वैश्विक
  4. प्राचीन नगरों का युगयुगीन इतिहास
  5. तीर्थ क्षेत्रों का इतिहास-लेखन
  6. पुराणों के अंतर्गत इतिहास
  7. जनजातीय इतिहास-लेखन
  8. जिलों के इतिहास का संकलन
  9. युवा एवं महिला इतिहासकार

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