अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना : विशेष
महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर संस्कृत के आदि कवि तथा 'रामायण के रचियता के बारे में यह जान कर आपको हैरानी होगी कि महर्षि वाल्मीकि एक महान खगोलशास्त्री भी थे।
संत मीराबाई का जीवन भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से भक्ति परंपरा में विषम परिस्थितियों में भी भारतीय नारी की शक्ति, भक्ति की शक्ति और उसकी अविरल रचनात्मकता की विरासत और संभावनाओं के बारे में एक अतिरिक्त अध्याय जोड़ता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्री विजयादशमी उत्सव, #RSS100
पश्चिमी दर्शन ने कभी भी मनुष्य को एकीकृत दृष्टिकोण से नहीं देखा। यह मानव को विभाजित करता है। पंडित दीनदयाल जी एक वैकल्पिक विचारधारा लेकर आए, जो भारतीय विचार दर्शन पर आधारित थी।
हिंदू बहुल हैदराबाद में निज़ाम ने यह सुनिश्चित किया कि हिंदुओं को मौलिक अधिकार भी न मिलें। उन्होंने हैदराबाद को एक संप्रभु इस्लामिक राज्य में बदलने की कोशिश की।
मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की ही शिक्षा दी हैं। - #स्वामी_विवेकानंद।
स्वामी लक्ष्मणानंद जी ने वनवासियों के अभाव और गरीबी का लाभ उठाकर उन्हें प्रलोभन से ईसाई बनाये जाने के मिशनरियों के षड्यंत्रों का भंडाफोड़ किया ।
आदिगुरु शंकराचार्य ने भारतीय समाज को एक एकतामय संस्कृति के रूप में प्रोत्साहित किया। उन्होंने धर्म, भाषा, और क्षेत्रीय भेदों का परिहार करने के लिए संदेश दिया।
ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 का महासंग्राम संगठित करने का सबसे पहला इरादा नाना साहब और उनके मंत्री अजीमुल्ला में पैदा हुआ. उस समय नाना की उम्र 36 वर्ष की थी.
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया
धर्म उत्कृष्ट मंगल है और अहिंसा, तप व संयम उसके प्रमुख लक्षण हैं। जिन व्यक्तियों का मन सदैव धर्म में रहता है, उन्हें देव भी नमस्कार करते हैं। भगवान महावीर
भगवान झूलेलाल जयंती समाज में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है। हिंदू पांचांग के अनुसार भगवान झूलेलाल जयंती चैत्र मास की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। भगवान झूलेलाल, भगवान वरुणदेव के अवतार हैं।
"राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र में हिन्दुत्व के आध्यात्मिक और
आदर्शों से स्पंदित हुए बिना स्वातंत्र्य की कोई कीमत नहीं"
- डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
श्री गुरु जी का जीवन बहुत पारदर्शी था, जैसे चन्दन की सुगंध उजाले
और अँधेरे में एक समान होती है उसी प्रकार उनका एकांत अथवा अनेकांत बिना भेद एक ही था।
#TAG
- #श्रीगुरूजी
आर्य समाज के संस्थापक, चिंता और महान समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जयंती
“Whatever you think, that you will be. If you think yourselves weak, weak you will be; if you think yourselves strong, strong you will be.”- Swami Vivekananda
“Whatever you think, that you will be. If you think yourselves weak, weak you will be; if you think yourselves strong, strong you will be.”- Swami Vivekananda
संत रविदास ने विदेशी शासक सिकंदर लोधी के आतंक व अनैतिक आचरण के खिलाफ न केवल आवाज उठाई, वरन जबरन मतान्तरित किये गये लोगों की स्वधर्म-वापसी भी करायी।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय रजक के मुताबिक, भारत में सबसे पहले संत गाडगे ने ही साफ-सफाई को लेकर लोगों को जागरुक किया और इसके फायदों के बारे में बताया।
विश्व में विगत 40 वर्षों में लगभग 150 अध्ययनों के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में ही शिक्षा होनी चाहिए, क्योंकि बालक को माता के गर्भ से ही मातृभाषा के संस्कार प्राप्त होते हैं।
शिक्षा का अभाव सकल पशुता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है । यह ज्ञानार्जन ही है जिसके माध्यम से कोई अपनी निचली स्थिति से मुक्त होकर उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। - सावित्रीबाई फुले
‘कीरत करो नाम जपो वंड छको’ अर्थात पुरुषार्थ करो, प्रभु को स्मरण करो, बाँटकर खाओ। - श्री गुरू नानक देव जी
"मैं चाहता हूं कि गीता राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालयों में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक शिक्षा-संस्थान में पढ़ाई जाए।" - महात्मा गाँधी
19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव में तिरंगा फहराया, इसे ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया जो 36 घंटों तक चला|
“ छुआछूत पाप नहीं है, तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है।'' - बाला साहब देवरस
“ छुआछूत पाप नहीं है, तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है।'' - बाला साहब देवरस
तिन ते सुनि श्री तेगबहादुर। धरम निवाहनि बिखै बहादुर।
उत्तर भन्यो, धरम हम हिन्दू। अति प्रिय को किम करहिं निकन्दू।।
लोक परलोक उभय सुखदानी। आन न पाइया याहि समानी।
मति मलीन मूरख मति जोई। इसको त्यागे पामर सोई।
सुमतिवंत हम कहु क्यों त्यागहिं। धरम राखिवे नित अनुरागहिं।।
त्रितीए प्रान हाव की बात। सो हम सहै, अपने गात।
हिन्दू धरम रखहिं जग मांही। तुमरे करे बिनस यह नांही।।
सुब्रमण्यम भारती जी आधुनिक तमिल कविता के जनक हैं। उनकी कविताएं और साहित्यिक कृतियां केवल स्वतंत्रता के विचारों तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि उन्होंने उनके समय में प्रचलित सभी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एक समाज सुधारक के रूप में अपनी भावनाओं को प्रतिध्वनित किया गया था
लाचित बोरफुकन ने वर्ष 1671 में हुए सराईघाट के युद्ध (Battle of Saraighat) में अपनी सेना को प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया, जिससे मुगल सेना का असम पर कब्ज़ा करने का प्रयास विफल हो गया था। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोरफुकन स्वर्ण पदक (The Lachit Borphukan Gold Medal) प्रदान किया जाता है।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण ग्रंथ में श्रीराम के जीवन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के समय पर आकाश में देखी गई खगोलीय स्थितियों का विस्तृत एवं क्रमानुसार वर्णन है।
जनजातीय समाज का बलिदान कुछ चुनिंदा लोगों की मुक्ति के लक्ष्य तक सीमित नहीं था अपितु वह सम्पूर्ण भारतीय समाज को विदेशी दासता से मुक्त कराने के एक महान प्रयास के लक्ष्य का प्रतीक था । इसलिए, यह हमारा, विशेष रूप से उनका जो जनजातीय समाज से भिन्न हैं, सबका और भी कर्तव्य बन जाता है कि वे असाधारण शौर्य के धनी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति श्रद्धा और श्रद्धांजलि के साथ इस दिन के उत्सव को मनाएं।
राष्ट्र सेविका समिति महिला संगठन का सूत्र फेमिनिज्म’ नहीं ‘फेमिलिज्म’ की विचारधारा और “स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है”
"भाई मुखे बोला राम हृदोये धोरा रूप । एतेके मुकुति पाइब कोहिलो स्वरूप "।। - श्रीमंत शंकरदेव जी |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शासन और राजनीति के वैकल्पिक प्रारूपों के प्रस्तावक थे। उनका मानना था कि भारत के लिए न तो साम्यवाद और न ही पूंजीवाद उपयुक्त है। उनके प्रारूप (मॉडल) को एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत कहा जाता है जिसे भारतीय जन संघ में एक वैचारिक दिशा निर्देश के रूप में अपनाया गया ।
“स्वामी विवेकानन्द जी के व्यक्तित्व एवं ज्ञान ने मुझे भारत देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया” – भगिनी निवेदिता
संत मीराबाई के जीवन दर्शन का बहुत ही महत्व और प्रासंगिकता है, क्योंकि उनके जीवन की कहानी उन मिथ्या मान्यताओं का खंडन करती है, जो यह बताती हैं कि प्राचीन समय में भारतीय महिलाओं के लोक जीवन मे रचनात्मकता का अभाव था।
मई 1946 में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन दिल्ली में था तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता, शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने राज्य के राज्य सरकार के विरुद्ध ‘क्विट कश्मीर’ अभियान शुरू कर दिया। अब्दुल्ला का व्यक्तित्व ऐसा था जिन्हें मोहम्मद अली जिन्ना तक पसंद नहीं करते थे। एक बार स्वयं उन्होंने अब्दुल्ला के बारे में कहा, “ओह, वो लंबा आदमी जो कुरान पढ़ता है और लोगों का शोषण करता है”