अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना : प्रो. सतीश चंद्र मित्तल

श्री सतीश चंद्र मित्तल जी

राष्ट्रवादी विचारक, प्रख्यात मनीषी, सुपरिचित इतिहासकार,अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संस्थापक सदस्यों में से एक और इतिहास संकलन योजना केराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.सतीश मित्तल जी का देहावसान राष्ट्रवादी दृष्टि से भारतीय इतिहास लेखन की धारा के लिए एक अपूरणी यक्षति है, प्रो.मित्तल जी के व्यक्तित्व, कृतित्व और कर्तृत्व को सादर नमन, विनम्र श्रद्धांजलि

अंग्रेजी भाषा में कुछ महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं—फ्रीडम मूवमेंट इन पंजाब (1905-1929); सोर्सेज ऑन नेशनल मूवमेंट इन इंडिया (1919-1920); हरियाणा : ए हिस्टॉरिकल पर्सपैक्टिव (1761-1966); ए सिलेक्टेड अनोटेटेड बिब्लियोग्राफी ऑन फ्रीडम मूवमेंट इन इंडिया : पंजाब एंड हरियाणा (1858-1947) व इंडिया डिस्टॉर्टेड : ए स्टडी ऑफ ब्रिटिश हिस्टॉरियंस ऑन इंडिया (तीन भाग)। कुछ प्रसिद्ध हिंदी पुस्तकें हैं—भारत में राष्ट्रीयता का स्वरूप (प्रारंभ से मुसलिम काल तक); भारत का स्वाधीनता संग्राम, ब्रिटिश इतिहासकार तथा भारत, 1857 की महान् क्रांति का विश्व पर प्रभाव; स्वामी विवेकानंद की इतिहास दृष्टि, साम्यवाद का सच, भारतीय नारी : अतीत से वर्तमान तक, विश्व में साम्यवादी साम्राज्यवाद का उत्थान एवं पतन, मुसलिम शासन और भारतीय जनसमाज; कांग्रेस : अंग्रेज भक्ति से राजसत्ता तक एवं हिंदुत्व से प्रेरित विदेशी महिलाएँ।

Satish Chandra Mittal
प्रोफेसर सतीश चंद्र मित्तल (1938 -2019) राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से इतिहास लेखन के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रहे।आप कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में आधुनिक भारतीय इतिहास के वरिष्ठ प्रोफेसर रहे।

प्रो. मित्तल उन छह याचिकाकर्ताओं मेंशामिल थे, जिन्होंने वेंडीडोनिगरकीकिताब‘दहिंदू: एनअल्टरनेटिवहिस्ट्री’ पर भारतीय इतिहास को लेकर त्रुटिपूर्ण तथ्यों और भ्रामक इतिवृत लेखनपद्धति अपनाने के कारण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

राष्ट्रवादी इतिहास दृष्टि से लैस इतिहासलेखन को संकल्पबद्ध प्रो. मित्तल सेवाभाव से संकल्पित थे, उन्होंने हरियाणा में विद्याभारती द्वारा संचालित कुछ स्कूलों का प्रबंधन किया है। उनका अपना शोध पंजाब में स्वतंत्रता आंदोलन पर केंद्रित था। उनके पास इतिहासलेखन की भारतीय दृष्टि थी और वे समकालीनों द्वारा रचे इतिहास दृष्टि के बरक्श एक राष्ट्रवादी आख्यान के निर्माण के लिए रचे जाने वाले इतिहासपथ के लाइट हाउस थे, जो आने वाले समय में भारत के इतिहास लेखन की राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के अनुकूल पथप्रदर्शक का काम करेगी।

प्रो. मित्तल ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन किया।
सनद रहे, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वज्जनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के योजना गीत में वर्णित पथ पर प्रो मित्तल आख़िर आख़िर तक दृढ़ता से अनवरत चलते रहे। जिसमें कहा गया है:

कृत्वा नवदृढ़संकल्पम्।
कृत्वा नवदृढ़संकल्पम्।
वितरन्तो सन्देशम् ।
घटयामो नवसंघटनम्।
रचयामो नवमितिहासम्।। कृत्वा…..

नवमन्वतर शिल्पिनः
राष्ट्रसमुन्नतिकाङ्क्षिणः
त्यागधनाः कार्येंकरताः
कृतिनिपुणाः वयमविषण्णाः।। कृत्वा…..

भेदभावनां निरासयन्तः
दीनदरिद्रान् समुद्धरन्तः
दुःखवितप्तान् समाश्वसन्तः
कृतसंकल्पान् सदा स्मरन्तः।। कृत्वा….

प्रगतिपथान्नहि विचलेम
परम्परां संरक्षेम
समोत्साहिनो निरुद्वेगिनो
नित्यनिरन्तरगतिशीलाः।। कृत्वा…..

अर्थात्

नया संदेश फैलाने का हमने संकल्प लिया,
हम एक नया संगठन बनाएंगे और एक नया इतिहास बनाएंगे।
हम एक नए युग के निर्माता हैं और हम चाहते हैं कि राष्ट्र प्रगति करे।
हम पूरी तरह से केंद्रित हैं और अपने काम के लिए समर्पित हैं।
हम कुशल हैं और अपने काम पर गर्व करते हैं।
हम यहां असमानता को दूर करने और गरीबों के उत्थान के लिए हैं।
हम दुख के शिकार लोगों को सांत्वना देंगे।
हम अपनी प्रतिज्ञा को हमेशा याद रखेंगे
हम अपनी प्रगति के पथ से विचलित नहीं होंगे और हम अपनी परंपरा को बनाए रखेंगे।
उत्साह के साथ और बिना किसी चिंता के, हम आगे भी प्रगति करते रहेंगे

प्रो. मित्तल ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन किया।
सनद रहे, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वज्जनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है।

प्रो. मित्तल उन छह याचिकाकर्ताओं मेंशामिल थे, जिन्होंने वेंडीडोनिगरकीकिताब‘दहिंदू: एनअल्टरनेटिवहिस्ट्री’ पर भारतीय इतिहास को लेकर त्रुटिपूर्ण तथ्यों और भ्रामक इतिवृत लेखनपद्धति अपनाने के कारण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

राष्ट्रवादी इतिहास दृष्टि से लैस इतिहासलेखन को संकल्पबद्ध प्रो. मित्तल सेवाभाव से संकल्पित थे, उन्होंने हरियाणा में विद्याभारती द्वारा संचालित कुछ स्कूलों का प्रबंधन किया है। उनका अपना शोध पंजाब में स्वतंत्रता आंदोलन पर केंद्रित था। उनके पास इतिहासलेखन की भारतीय दृष्टि थी और वे समकालीनों द्वारा रचे इतिहास दृष्टि के बरक्श एक राष्ट्रवादी आख्यान के निर्माण के लिए रचे जाने वाले इतिहासपथ के लाइट हाउस थे, जो आने वाले समय में भारत के इतिहास लेखन की राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के अनुकूल पथप्रदर्शक का काम करेगी।

प्रो. मित्तल ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन किया।
सनद रहे, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, इतिहास के क्षेत्र में कार्यरत विद्वज्जनों का एक राष्ट्रव्यापी संगठन है जो इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में प्रामाणिक, तथ्यपरक तथा सर्वांगपूर्ण इतिहास-लेखन तथा प्रकाशन आदि की दिशा में कार्यरत है।

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