अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना : राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय अध्यक्ष
डॉ. देवी प्रसाद सिंह
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना
सचल दूरभाष: 09415300469
ईमेल: drdeviprasadsingh@gmail.com
1975 में आपातकाल में गोरखपुर जेल में मीसा बन्दी था। जेल से आपातकाल समाप्ति के अनन्तर बाहर आने के बाद तत्कालीन प्रान्त प्रचारक मा. जयगोपाल जी की योजना व निर्देशानुसार इतिहास के क्षेत्र में काम करने की संभावना तलाशने का काम दिया गया। जेल में जिला प्रचारक रहते गया था तथा प्रचीन इतिहास में एम.ए. अन्तिम वर्ष में परीक्षा के अन्तिम प्रश्न पत्र देते विश्वविद्यालय में गिरफ्तार हुआ था । थाने में एक दिन बन्दी के रूप में रहने के समय विश्वविद्यालय के कुलपति व विभागाध्यक्ष सहित प्रायः सभी प्राध्यापक मेरे प्रति स्नेह व आशीर्वाद देने पहुंचे थे। जिसके कारण मेरा अपने प्राध्यापकों से बहुत अच्छा सम्पर्क था। मा. बाबा साहब आप्टे के देहावसान के बाद नागपुर में हुए कार्यक्रम में मैं सम्मिलित था। जब बाबा साहेब आप्टे स्मारक समिति की प्रथम बैठक नागपुर में हुई तब मुझे उसमें सम्मिलित होने का सौभाग्य मिला था । कारण शायद उस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश में शायद मैं ही अकेला व्यक्ति था जो जिला प्रचारक व पूज्य बाबा साहेब आप्टे जी बैठकों में सम्मिलित रहा था।
बाबा साहब आप्टे स्मारक समिति ने मा. मोरोपंत जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में संस्कृत व इतिहास के क्षेत्र में कार्य किया। मुझे उत्तर प्रदेश में इतिहास का कार्य प्रारम्भ करने का दायित्व मिला और पहला इतिहास दिवस काशी में चेत सिंह के किला में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में मा. डा. ठाकुर प्रसाद वर्मा से भेंट हुई व उनसे सम्पर्क बढ़ा। कालान्तर में कई स्थानों पर इतिहास दिवस के नाम से कार्यक्रम हुए जिसमें प्रायः मा. मोरोपंत जी पिंगले उपस्थित रहते थे। धीरे-धीरे ठाकुर प्रसाद वर्मा की अध्यक्षता में इतिहास संकलन समिति बनी जिसमें मै संस्थापक महामंत्री बना। यह शायद देश की पहली पंजीकृत समिति रही।
भारतीय इतिहास संकलन समिति उत्तर प्रदेश के नाम से हमने उत्तर प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में संगोष्ठियाँ आयोजित की। अयोध्या, गोरखपुर, प्रयाग, लखनऊ, बरेली, मथुरा, काशी, प्रतापगढ़ में आयोजित संगोष्ठियों के विषय क्षेत्रीय इतिहास था। कल्पना यह थी क्षेत्रीय/स्थानीय इतिहास संकलन व उसका प्रकाशन इतिहास जगत से जुड़ने व उनको जोड़ने का अच्छा अवसर हो सकता है। युग युगीन अयोध्या, युगयुगीन सरयूपार, युगयुगीन प्रयाग, अवध का क्षेत्रीय इतिहास, युग युगीन हस्तिनापुर, युगयुगीन व्रज, युगयुगीन काशी आदि अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हुए जिनमें उत्तर प्रदेश व देश के अनेक लब्ध प्रतिष्ठ इतिहासज्ञ सम्मिलित हुए। मेरा शोध ग्रन्थ हिन्दू समाज में परिवर्तन की प्रक्रिया भी प्रकाशित हुआ। मैं देवी प्रसाद सिंह से डॉ. देवी प्रसाद सिंह बन चुका था और उत्तर प्रदेश व देश के अन्याय इतिहासज्ञों में परिचित भी हो गया था। मेरा कार्यस्थल श्री गांधी स्नाकोत्तर महाविद्यालय मालटारी आजमगढ़ सुदूर गाँव में स्थित था जिसके कारण आवागमन में बहुत कठिनाई थी। इतिहास संकलन समिति का कार्य राष्ट्रव्यापी बनाने की योजना मा- मोरोपंत जी ने बना ली थी व, एक क्षेत्र प्रचारक स्तर के मा. ठाकुर राम सिंह जी जिनका स्नातकोत्तर इतिहास विषय से थी, उनके सम्पर्क में सक्रिय हो गये थे। अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति नाम से दिल्ली में पंजीकरण की कठिनाइयों के कारण नाम ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ रखना पड़ा जिसका मुझे महासचिव बनाया गया और मेरा प्रवास देश के अनेक प्रान्तों में होने लगा।
अब मालटारी कार्यस्थल कार्य में बाधा पहुंचनें लगा। कभी-कभी मेरी आधी तनख्वाह प्रवास के कारण कट जाती थी। मा. मोरोपंत जी ने अनेक प्रयत्न मेरा केन्द्र बदलने का किया किन्तु सफलता नहीं मिली। इसी लक्ष्य को केन्द्र में रखकर मुझे वाराणसी स्नातक क्षेत्र से चुनाव लड़ाया गया किन्तु दो बार प्रयत्न करने पर भी मैं कुछ मतों से हार गया। एक समय ऐसा आया कि मुझे नौकरी छोड़कर वाकणकर शोध संस्थान में पूर्ण कालिक बनाने की बात आयी। वहाँ मा. सुरेश सोनी जी के प्रयत्नों से बड़ा कार्यक्रम हुआ किन्तु रज्जू भैया ने घोषणा करने पूर्व ही मोरोपंत जी को रोक दिया क्योंकि मेरी शादी हो चुकी थी। इसी बीच मैं आयोग से प्राचार्य चुन लिया गया था। मेरे प्रथम मुख्य शिक्षक प्रो- नरेन्द्र सिंह गौर शिक्षामंत्री बन गये थे सभी के आशीर्वाद से मैं काशी में प्राचार्य पद पर प्रतिष्ठित होकर काफी बड़े क्षेत्र में स्थापित हो गया था किन्तु राजनीति में स्थापित होने के बाद मेरा इतिहास में सक्रिय योगदान प्रायः मात्र सम्पर्क में बदल गया था। इतिहास संकलन समिति योजना में मेरा पुनर्जन्म लोक प्रिय व सुयश के भागी संगठन मंत्री आदरणीय डॉ. बालमुकुन्द जी के प्रयासो से हुआ। पुनर्जन्म में भारतीय इतिहास संकलन समिति काशी का जन्म व उसका विस्तार व अखिल भारतीय स्तर पर उपाध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष व अध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन अपने समयपालन व नियमपालन के मूल संस्कारों के साथ पूर्ण करने के लिए प्रयत्नशील हूँ। भारतीय इतिहास संकलन समिति के प्रथम व प्रारम्भ के चरण में तत्कालीन सह प्रान्त प्रचारक श्रद्धेय अनन्तराव गोखले का अतुलनीय योगदान रहा है।